भारत के गवर्नर जनरल-2

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लॉर्ड कार्नवालिस

लॉर्ड कार्नवालिस
लॉर्ड कार्नवालिस
  • वॉरेन हेस्टिंग के बाद लॉर्ड कार्नवालिस, 1786 ई० में गवर्नर-जनरल बनकर भारत आया था|लॉर्ड कार्नवालिस 1786 ई० से लेकर 1796 ई० तक बंगाल का गवर्नर-जनरल रहा|
  • लॉर्ड कार्नवालिस ने ही भारत में सबसे पहले सिविल सेवा की शुरुआत की थी|अतः लॉर्डकार्नवालिस को भारतीय सिविल सेवा का जन्मदाता भी कहा जाता है|
  • भारत में सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत,1853 ई० में हुई थी| 1853 ई० में जब सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत हुई, तब इसकी परीक्षा भारत में आयोजित नहीं होती थी, बल्कि यह परीक्षा लंदन में आयोजित की जाती थी|
  • भारत में सिविल सेवा परीक्षा की शुरूआत सर्वप्रथम 1923 ई० में प्रारम्भ हुआ|सत्येन्द्र नाथ टैगोर,1863 ई० में सिविल सेवा परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय नागरिक थे|
  • अरविन्द घोष ने सिविल सेवा परीक्षा तो पास की थी, किन्तु ये घुड़सवारी की परीक्षा पास करने में असफल हो गये थे|सुभाष चन्द्र बोस ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी, किन्तु उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था| सुरेन्द्र नाथ बनर्जी को असम का कलेक्टर रहते हुए इस पद से बर्खास्त कर दिया गया था|
  • भारत में इस परीक्षा में सम्मिलित होने की आयु,23 वर्ष थी, किन्तु बाद लॉर्ड लिंटन (1876-1880 ई०) नेइस परीक्षा में सम्मिलित होने की आयु, 23 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दिया था|
  • भारत में पुलिस सेवा की भी शुरुआत लॉर्ड कार्नवालिस ने ही की थी| लॉर्ड कार्नवालिस को भारत में पुलिस सेवा का जन्मदाता भी कहा जाता है|
  • भारत में न्यायिक सेवा का जन्मदाता,वॉरेन हेस्टिंग्स को माना जाता है|
  • लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 ई० में भूराजस्व व्यवस्था के तहत स्थाई बंदोबस्तप्रणाली की शुरुआत की थी| स्थाई बंदोबस्त को जमींदारी व्यवस्था, जागीरदारी व्यवस्था ,इस्तमरारी व्यवस्था इत्यादि नामों से भी जाना जाता है|
  • ब्रिटिश शासनकाल मे भूराजस्व व्यवस्था की तीन पद्धतियाँ दिखाई हैं –
  • स्थाई बंदोबस्त
  • महालवाड़ी
  • रैय्यतवाड़ी
  • कार्नवालिस को भारत अहस्तक्षेप की नीति के तहत भेजा गया था|1784 ई० में कंपनी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए ब्रिटिश संसद का दूसरा उपाय पिट्स इण्डिया एक्ट था|पिट्स इण्डिया एक्ट के तहत यह निर्धारित किया गया था कि अब कंपनी देशी राज्यों में कम से कम हस्तक्षेप करेगी|
  • लॉर्डकार्नवालिसको पिट्स इण्डिया एक्ट के तहत ही भारत भेजा गया था लेकिन कार्नवालिस स्वयं पर नियन्त्रण नही रख सका और उसने 1790 ई० में मैसूर से युद्ध की घोषणा कर दी|
  • मैसूर का तृतीय युद्ध, 1790ई० से 1794 ई० तक चला|इस युद्ध के बाद टीपू सुल्तान को श्रीरंगपट्टम की संधि स्वीकार करनी पड़ी|इस संधि के तहत टीपू को अपना आधा राज्य कंपनी और उसके सहयोगियों को देना पड़ा था|
  • 1793 ई० में ही कार्नवालिस कोड जारी किया गया|यह वास्तव में शक्तियों के पृथक्करण के लिए जारी किया गया था|इसके तहत कर प्रशासन और न्याय व्यवस्था को अलग-अलग कर दिया गया|कार्नवालिस भारत का एकमात्र गवर्नर-जनरल था, जिसकी भारत मेंसमाधि बनाई गई| कार्नवालिस की समाधि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित है|

सर जॉनसोर (1793-1798)

सर जॉनसोर
सर जॉनसोर
  • लॉर्डकार्नवालिस,अहस्तक्षेप की नीतियों का पालन करने में पूरी तरह से असमर्थ रहा, किन्तु सर जॉनसोर ने पूरी तरह से अहस्तक्षेप की नीतियों का पालन किया|यही कारण है कि1794 ई० में कार्नवालिस के बाद सर जॉनसोर के काल में मैसूर पर कोई आक्रमण नही किया गया|
  • सर जॉनसोर के बाद लॉर्डवेलेजली ने आते ही मैसूर पर आक्रमण कर दिया और मैसूर का सारा राज्य हड़प लिया और मैसूर पर सहायक संधि थोप दिया|

लॉर्ड वेलेजली (1798-1805ई०)

लॉर्ड वेलेजली
लॉर्ड वेलेजली
  • लॉर्डवेलेजली, घोर साम्राज्यवादी था|इसने भारतीय राज्यों का विलय करने के उद्देश्य से सहायक संधि लागू किया|चूँकि अंग्रेजों को फ्रांसीसियों का भय था इसलिए भारत में सहायक संधि के लागू करने के पीछे इसका उद्देश्य अंग्रेजों की श्रेष्ठता स्थापित करना था तथाफ्रांसीसियों का भय समाप्त करना था|
  • वास्तव में भारत में सहायक संधि प्रणाली की जो शुरुआत लॉर्डवेलेजली ने की थी, उसका असली मकसद भारत में फ्रांसीसियोंके विस्तार को रोकना था|
  • अंग्रेजों को फ्रांसीसी क्रांति के बाद फ्रांसीसियों से जबरदस्त खतरा उत्पन्न हो गया था| 1789 ई० में हुए फ़्रांसीसी क्रांतिके आदर्शों को नेपोलियन पूरे यूरोप में फैलाना चाहता था|
  • फ़्रांसीसीक्रांति के आदर्शो को यूरोप में फ़ैलाने के उद्देश्य से नेपोलियनपूरे यूरोप में विजय अभियान चला रहा था|नेपोलियन का सबसे बड़ा शत्रु ब्रिटेन था| ब्रिटेन और फ़्रांस के हित भारत में भी टकराते थे|भारत में अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को कुछ क्षेत्रों, जैसे- पांडिचेरी और माहे में सीमित कर दिया था  और स्वयं पूरे  भारत पर कब्ज़ा करना चाहते थे|
  • टीपू सुल्तान को जब श्रीरंगपट्टम की संधि के तहत आधा राज्य अंग्रेजों के हाथों में देना पड़ा तब उसने फ़्रांस अर्थात नेपोलियन से बात-चीत करना शुरु कर दिया था|
  • 1789 ई० के बाद ब्रिटेन के साथ-साथ भारत में भी फ़्रांसीसियों के आक्रमण का भय बना हुआ था| टीपू सुल्तान, नेपोलियन से मदद मांग कर इस आशंका को और बल प्रदान कर दिया था|यही कारण है किवेलेजली ने आते ही सहायक संधि प्रणाली की व्यूह रचना की|
  • सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अंग्रेजों की होती थी|सहायक संधि के अंतर्गत देशी राज्यों को अपने क्षेत्र पर, अपने ही खर्चे पर, एक सहायक सेना रखनी पड़ती थी|यह सहायक सेना, रहती तो देशी राज्यों में थी लेकिन इसकी वफ़ादारी अंग्रेजों के प्रति होती थी|
  • भारत में जिन राज्यों ने सहायक संधि स्वीकार कर ली थी, अब वे नाममात्र के राज्य रह गये थे| सहायक संधि स्वीकार करने वाले देशी राज्यों की विदेश नीति और स्वतंत्रता सब कुछ अंग्रेजों के हाँथ में चली जाती थी|हैदराबादसहायक संधि स्वीकार करने वाला पहला राज्य था|1798 ई० में हैदराबाद ने सहायक संधि स्वीकार की थी|
  • लॉर्डवेलेजली ने भारत में आते ही मैसूर पर धावा बोल दिया और टीपू सुल्तान श्रीरंगपट्टम के मुख्य द्वार पर लड़ता हुआ मारा गया|मैसूर का अधिकांश भाग अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया था, शेष भाग पर सहायक संधि थोप दी गई|
  • ICS में भर्ती युवकों के प्रशिक्षण के लिए वर्ष 1800 ई० में लॉर्डवेलेजली ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की थी|

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Shani kumar
September 10, 2023, 9:12 pm

Notes ache Bane hai sir padne ma aasan lag raha ha