भारत में कुल कोयला उत्पाद का केवल 2 प्रतिशतकोयला टर्शियरी क्रम की चट्टानों में पाया जाता है |
भारत में टर्शियरी क्रम की चट्टानों में पाये जाने वाले कोयले का प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
कोयला क्षेत्र
राज्य
नेवेली
तमिलनाडु
कारगिल
जम्मू कश्मीर
माकूम
असम
पलना
राजस्थान
तमिलनाडु के नेवेली में लिग्नाइट किस्म का कोयला पाया जाता है |
जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में एन्थ्रेसाइट कोटि का कोयला पाया जाता है एन्थ्रेसाइट कोयले की उत्तम किस्म मानी जाती है |
असम के माकूम तथा राजस्थान के पलना में लिग्नाइट किस्म का कोयला पाया जाता है |
भारत के शीर्ष तीन कोयला भण्डारण वाले राज्य निम्नलिखित हैं –
(i) झारखण्ड
(ii) उड़ीसा
(iii) छत्तीसगढ़
भारत में शीर्ष तीन कोयला उत्पादन करने वाले राज्य निम्नलिखित हैं –
(i) छत्तीसगढ़
(ii) झारखण्ड
(iii) उड़ीसा
Note- कोयला उत्पादन करने वाले राज्यों का क्रम स्थिर नही रहता है बल्कि यह बदलता रहता है |
कोयला उत्पादन में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत का तीसरा स्थान है |
कोयला संसाधन
कोल इंडिया लिमिटेड(Coal India Limited) कोयले का उत्पादन अथवा खनन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की अर्थात् सहकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है | यह एक महारत्न कपंनी है |इसकी स्थापना 1975 ई०में हुए थी|
भारत का अधिकाँश कोयला गैर कोकिंग श्रेणी का है| यह लोहा इस्पात उद्योग में इस्तेमाल के लिए अच्छे श्रेणी का कोयला नहीं माना जाता है | इसलिए लोहा इस्पात उद्योग के लिए कोकिंग कोयले का आयात चीन और आस्ट्रेलिया से किया जाता है |
कोयले में कार्बन होता है |कार्बन की उपस्थिति इसके उष्मीय क्षमता को निर्धारित करती है |जिस कोयले में कार्बन ज्यादा और नमी की मात्रा कम होती है, उसे हम कोकिंग कोयला कहते हैं | कोकिंग कोयले का उपयोग लोहा इस्पात उद्योग में किया जाता है |
कोयले में अधिक कार्बन की मात्रा उसके अधिक ताप की दशा को दर्शाता है |
भारत में सर्वाधिक लिग्नाइट प्रकार के कोयले का उत्पादन करने वाला राज्य तमिलनाडु है |
तमिलनाडु के नेवेली जिले में लिग्नाइट किस्म के कोयले की अनेक खानें हैं |
भारत में सर्वाधिक कोयले की खाने झारखण्ड राज्य में हैं |
भारत में अन्य प्रमुख कोयला क्षेत्र इस प्रकार हैं –
कोयला क्षेत्र
राज्य
कालाकोड
जम्मू कश्मीर
उमरसर
गुजरात
निचाहोम
जम्मू कश्मीर
बरकला कोयला क्षेत्र
केरल
नागचिकनाम
अरुणाचल प्रदेश
ऊष्मा तथा अशुद्धता के आधार पर कोयले को चार भागों में विभाजित किया गया है –
(i) ऐन्थ्रेसाइट
(ii) बिटुमिनस
(iii) लिग्नाइट
(iv) पीट
ऐन्थ्रेसाइट
यह सर्वोत्तम कोटि का कोयला है|इसमें कार्बन की मात्रा 85 प्रतिशत से अधिक, ताप अधिक, नमी कम तथा धुआँ की मात्राभी कम पाया जाता है |
भारत में ऐन्थ्रेसाइट कोयला जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में पाया जाता है |
बिटुमिनस
बिटुमिनस गोंडवानायुगीन कोयला है|यह कोयला पूर्वी भारत मे उड़ीसा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल एवं छत्तीसगढ़ राज्यों में पाया जाता है |
भारत में लगभग 98 प्रतिशतकोयला बिटुमिनस प्रकार का है |
बिटुमिनस कोयला द्वितीय किस्म का कोयला है| इसमें कार्बन की मात्रा 55 से 65 प्रतिशतके बीच पायी जाती है |
लिग्नाइट
लिग्नाइट किस्म के कोयले को भूरा कोयला कहते हैं| लिग्नाइट कोयले की तीसरी कोटि का कोयला है | भारत में लिग्नाइट कोयले का सबसे बड़ा भण्डार तमिलनाडु के नेवेली क्षेत्र में पाया जाता है | तमिलनाडु के नेवेलीक्षेत्र में ही लिग्नाइट कोयले का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है |
भारत में लिग्नाइट कोयले के दो अन्य क्षेत्र भी हैं–
(i) असम राज्य में माकूम
(ii) राजस्थान राज्य में पलना
लिग्नाइट कोयले में कार्बन की मात्रा 45 से 55 प्रतिशत के बीच में पाया जाता है |
पीट
पीट एक घटिया किस्म का कोयला है | इसमें कार्बन की मात्रा 45 प्रतिशत से कम पाया जाता है | इसमें नमी की मात्रा अधिक होता है जिसके कारण इसे जलाने पर इसमें से धुँआ की मात्रा अधिक निकलती है |
सामान्यतः पीट किस्म के कोयले का निर्माण दलदली क्षेत्रों में होता है |यही कारण है कि पीट किस्म के कोयले में नमी की मात्रा अधिक होती है |
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