दलहनी फसलों के अन्तर्गत अरहर,चना,मटर,मसूर और सोयाबीन आदि को शामिल किया जाता है |ये फसलें लेग्यूमिनेसी कुल की फसलें हैं |
लेग्यूमिनेसी कुल की प्रमुख विशेषता यह होती है कि इनकी फसलों की जड़ों मेंग्रंथियाँ पायी जाती हैं |इन ग्रंथियों में राइजोबियम नामक जीवाणु सहजीवन करता है |
राइजोबियम नामक जीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण करके मिट्टी को नाइट्रेट की आपूर्ति करता है | इस प्रकार मिट्टीमें नाइट्रेट की मात्रा बढ़ाकर दलहनी फसलें मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती हैं |
अन्य फसलें बुआई के बादमिट्टी की पोषकता को कम कर देती हैं|किन्तु दलहनी फसलों कीबुआई के बाद ये मिट्टी की गुणवत्ता को बनाये रखती हैं |दलहनी फसलों के जड़ों में जो जीवाणु (राइजोबियम) पाया जाता है, वोवायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट में परिवर्तित कर देता है और नाइट्रेट फसलों के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है |यही कारण है कि दलहनी फसलों में यूरियाया नाइट्रेट का प्रयोग अलग से नहीं करना पड़ता है |
दलहनी फसलों को फसल चक्र में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है |
फसल चक्र का उद्देश्य होता है,मिट्टी की उर्वरता को बनाये रखनाअर्थात् मिट्टी की पोषकता को बनाये रखना | दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि फसल चक्र का कार्य मिट्टी की खोई हुई पोषण मान को वापस करना होता है |
एक खाद्यान्न फसल को लगाने के बाद जब काटते हैं तो खाद्यान्न फसल मिट्टी के पोषण मान को खींच लेती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता घट जाती है |
एक खाद्यान्न लगाने के तुरन्त बाद अगर दूसरी खाद्यान्न फसल लगा दिया जाये तो मिट्टी में पोषण मान को बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करना पड़ता है |रासायनिक उर्वरक का प्रयोग वायुमंडल को हानि पहुँचाता है |
प्राकृतिक रूप से मिट्टी की उर्वरकता को बनाये रखने के लिए दलहनी फसलों को लगाया जाता है| खाद्यान्न फसल लगाने के बाद दलहन फसल लगाने से उत्पादन तो होता ही है साथ ही साथ पोषण मान भी मिट्टी को प्राप्त हो जाता है |
खरीफ की फसल काटने के बाद तथा रबी की फसल को बोने से पहले दलहनी फसलों को बोया जाता है |दलहनी फसलें मिट्टी में नाइट्रेट की आपूर्ति करके मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ा देती हैं |
प्रमुख दलहन फसलें
अरहर, चना, मटर और मसूर आदि फसलें रबी फसल ऋतु की प्रमुख दलहनी फसलें हैं |
सोयाबीन, मूंग, उरद और लोबिया आदि फसलें खरीफ फसल ऋतु की प्रमुख दलहनी फसलें हैं |
जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा होती है,वहाँ सोयाबीन, मूंग, औरउड़दजायद फसल ऋतु में भी उगाया जाता है |
इस प्रकार कहा जा सकता है की दलहनी फसलों की खेती तीनों फसल ऋतुओं में की जा सकती है |
देश में दलहनी फसलों के उत्पादन मेंमध्य प्रदेशका प्रथम स्थान है |
दलहन फसलवार उत्पादन में राज्यों का स्थान
समग्र दलहन उत्पादन में मध्य प्रदेश का प्रथम स्थान है |
भारत में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादनमध्य प्रदेशराज्य में होता है |इसलिएमध्य प्रदेश को सोया प्रदेश भी कहते हैं |
देश में चना उत्पादन में मध्य प्रदेश सर्वोच्च स्थान पर है |
देश में अरहरका सर्वाधिक उत्पादनमहाराष्ट्रराज्य में होता है
मसूर के उत्पादन में उत्तर प्रदेशका प्रथम स्थान है |
दालों के उत्पादनऔरउपभोग में भारत काप्रथम स्थान है |
भारत में दलहनी फसलों के उत्पादन में प्रथम स्थान होने के बावजूद कृषि उत्पादों में दालों का सर्वाधिक आयात होता है, क्योंकि शाकाहारी जनसंख्या की प्रोटीन प्राप्ति का प्रमुख साधन दालें ही हैं |
दलहनी फसलों में सबसे ज्यादा प्रोटीन लगभग 40% सोयाबीनमें पाया जाता है|
विश्व में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे स्थान परब्राजीलहै |
भारत में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है |
भारत में दलहनी फसलों में सर्वाधिक उत्पादन सोयाबीन का ही होता है |
Chotu Bhai May 2, 2020, 6:05 am Report
Bhahut aacha padate h sir
Abhay February 29, 2020, 2:31 pm Report
Baaki ke pdf aayenge ya nahi sir please we awaiting a lot ..sir
Laxmi rajvanshi February 29, 2020, 9:06 am Report
Sir PDF nahi mil download ho raha h aur sir note bahut hee useful h thank you sir
Devendra prajapati February 29, 2020, 8:42 am Report
45 no ka pdf download nhi ho rha hai
Navab Singh Yadav February 28, 2020, 11:49 pm Report
Sir apke notes 44 no.vedio ke bad pdf nhi show ho rha h
Shubham pandey February 28, 2020, 9:35 pm Report
Sir chapter 43 Nahi Hai
Mamta Verma February 28, 2020, 9:22 pm Report
Sir apke notes 44 no.vedio ke bad pdf nhi show ho rha h
Rahul Tiwari February 27, 2020, 7:27 pm Report
Download nhi ho rha h sir pdf