प्रायद्वीपीय भारत का पठार : भाग-1

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  • महाद्वीप का वह हिस्सा जो तीन तरफ से महासागरों से घिरा है, भू-भाग के ऐसे क्षेत्र को प्रायद्वीप कहते हैं|
  • प्रायद्वीपीय भारत पूरब में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में हिन्द महासागर एवं पश्चिम में अरब सागर से घिरा हुआ है|
  • प्रायद्वीपीय भारत का भाग पठारी होने के कारण इसे हम प्रायद्वीप भारत का पठार कहते हैं|
  • प्रायद्वीपीय भारत पर पर्वत की तरह ऊँची-ऊँची चोटी नहीं है, किन्तु यहाँ चट्टानों का समतल उठा हुआ भाग है|
  • प्रायद्वीपीय भारत का पठार गोंडवाना लैंड का ही भाग है|
  • प्रायद्वीपीय भारत का पठार अफ्रीका से टूटकर उत्तर-पूरब की ओर प्रवाहित हुआ, इसके उत्तर-पूरब में प्रवाहित होने के कारण ही टेथिस सागर में जमें मलबों पर दबाव पड़ने के कारण हिमालय पर मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ|
  • प्रायद्वीपीय भारत अभी भी उत्तर-पूरब की ओर प्रवाहमान है, जिसके कारण हिमालय की ऊंचाई अभी भी बढ़ रही है|
  • प्रायद्वीपीय भारत का पठार विवर्तनिक रूप से स्थिर है, जिसके कारण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्यत: भूकम्प नहीं आते हैं|
  • पृथ्वी के अन्दर होने वाली हलचल को विवर्तनिकी कहते हैं|
  • प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर-पश्चिमी सिरे पर अरावली पहाड़ियाँ स्थित हैं, इसके उत्तर-पूर्वी सिरे पर राजमहल की पहाड़ियां स्थित हैं|
  • प्रायद्वीपीय भारत का पठार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत,पूरब में राजमहल की पहाड़ियों से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत है|
  • मेघालय में शिलांग पठार भी प्रायद्वीपीय भारत के पठार का ही उत्तर-पूर्वी विस्तार है| शिलांग पठार राजमहल पहाड़ियों का ही पूरब दिशा की ओर विस्तार है|
  • प्रायद्वीपीय भारत के पठार के उत्तरी हिस्से का ढाल उत्तर की तरफ अर्थात् गंगा घाटी की तरफ है, यही कारण है कि चम्बल, बेतवा एवं सोन नदियां उत्तर-पूरब की दिशा में प्रवाहित होते हुए गंगा और यमुना नदी में मिल जाती हैं|

    Note –

    (i) चम्बल और बेतवा नदी इटावा के पास यमुना नदी में मिलती है|

    (ii) सोन नदी पटना के पास गंगा नदी में मिल जाती है|

    (iii) यमुना नदी इलाहाबाद (प्रयागराज) में गंगा नदी में मिलती है|

  • सतपुड़ा पहाड़ी के दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत के पठार का ढाल पूरब की तरफ हो जाता है, यही कारण है कि महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियां पूरब की तरफ प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है|
  • सतपुड़ा पहाड़ी के उत्तर में नर्मदा नदी की भ्रंशघाटी तथा दक्षिण में तापी नदी की भ्रंश घाटी स्थित है|
  • प्रायद्वीपीय भारत के पठार के पश्चिमी शिरे पर दो भ्रंश स्थित हैं, जिनमें एक भ्रंश सतपुड़ा के उत्तर में तथा दूसरा भ्रंश सतपुड़ा के दक्षिण में स्थित है|

Note –      नीचे धंसे हुए अवतलित क्षेत्र को भ्रंश कहते हैं|

  • सतपुड़ा के उत्तरी भ्रंश में नर्मदा नदी प्रवाहित होती है, इसलिए इसे नर्मदा भ्रंश घाटी कहते हैं|
  • सतपुड़ा के दक्षिण में तापी/ताप्ती नदी प्रवाहित होती है, इसलिए इसे तापी/ताप्ती भ्रंश घाटी कहते हैं|
  • नर्मदा और तापी भ्रंश घाटियों का ढाल पश्चिम की तरफ है, यही कारण है कि नर्मदा और तापी नदियां प्रायद्वीपीय भारत के सामान्य ढाल के विपरीत पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती है|
  • नर्मदा और तापी नदियां खंभात की खाड़ी में अर्थात् अरब सागर में अपना जल गिराती हैं|
  • तापी नदी के मुहाने से लेकर पश्चिमी तट के साथ-साथ केरल के कार्डामम पहाड़ी तक पश्चिमी घाट पर्वत का विस्तार है, जबकि पूर्वी तट के साथ-साथ पूर्वी घाट पर्वत का विस्तार है|
  • पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियां दक्षिण भारत में आपस में मिल जाती हैं जिसके कारण एक पर्वतीय गाँठ का निर्माण होता है, इस पर्वतीय गाँठ को नीलगिरी पर्वत कहते हैं|
  • पश्चिमी घाट नीलगिरी पर्वत के दक्षिण तक व्याप्त है, नीलगिरी पर्वत के दक्षिण में पश्चिमी घाट पर्वत को अन्नामलाई पहाड़ी और कार्डामम पहाड़ी के नाम से जाना जाता है|
  • प्रायद्वीपीय भारत के पठार की सबसे दक्षिणी पहाड़ी कार्डामम पहाड़ी या इलायची पहाड़ी है|
  • नीलगिरी पर्वत का विस्तार तीन राज्यों में है- तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक|
prayadeep pathar

अरावली पर्वत

  • प्रायद्वीपीय भारत के पठार के उत्तर-पश्चिमी सिरे पर अरावली पर्वत का विस्तार है|
  • अरावली पर्वत गुजरात के पालनपुर से लेकर उत्तर-पूरब की तरफ दिल्ली के मजनूटीला के पास तक विस्तृत है| इसकी लम्बाई लगभग 800 Km है|
  • अरावली पर्वत का अधिकतम लम्बाई राजस्थान राज्य में है|
  • अरावली पर्वत का दक्षिणी भाग जर्गा पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है|
  • दिल्ली के पास अरावली पर्वत को दिल्ली रिज के नाम से जाना जाता है|
  • अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर,गुरूशिखर है| यह राजस्थान में माउंट आबू के समीप स्थित है|
  • जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल दिलवाड़ा माउंट आबू में स्थित है|
  • आरावली पर्वत विश्व का सबसे प्राचीन वलित पर्वत है|
  • बनास नदी अरावली को पश्चिम से पूरब दिशा में पार करती है और चम्बल नदी में मिल जाती है|

मालवा पठार

  • मालवा का पठार अरावली पर्वत के दक्षिण में तथा विंध्य पर्वत के उत्तर में स्थित है अर्थात् मालवा पठार का विस्तार अरावली पर्वत एवंविंध्य पर्वत के बीच में है|
  • मालवा पठार का ढाल उत्तर की तरफ है, यही कारण है कि चम्बल, बेतवा एवं कालीसिंध नदियाँ उत्तर की दिशा में प्रवाहित होती हैं|
  • मालवा पठार का निर्माण ज्वालामुखी से निकले लावा से हुआ है, जिसके कारण मालवा पठार पर काली मिट्टी पायी जाती है|
  • मालवा पठार से मुख्य रूप से चम्बल नदी, बेतवा नदी और कालीसिंध नदी निकलती है|
  • चम्बल तथा उसकी सहायक नदियों ने मालवा पठार को अपरदित कर दिया है, जिसके कारण यहाँ घाटीनुमा आकृति पायी जाती है|
  • चम्बल तथा उसकी सहायक नदियों ने मालवा पठार को अपरदित करके बिहड़खड्ड में परिवर्तित कर दिया है, ऐसे अपरदन को अवनालिका अपरदन, खड्ड अपरदन या नाली अपरदन कहते हैं|

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Krishna
February 22, 2021, 3:10 am

Sir one video for geological history of earth

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Krishna
February 22, 2021, 3:09 am

Sir please one video for geological history of earth

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Govinda
September 12, 2020, 12:01 pm

Awesome sir g please start a series of India history sir

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Anurag Yadav
July 18, 2020, 10:26 am

प्रदीप के पठार हमारे लिए क्यों जरुरी है

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Monu Gour
May 13, 2020, 8:07 pm

Nice sir

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    Rahul Pandey
    May 8, 2020, 6:00 am

    sir aapne galat padhaya hai mount k2 bharat ki sbse bdi choti nhi hai balki kanchanjanga hai

    Usernicename
    SITESH KUMAR
    April 27, 2020, 3:54 pm

    Very nice sir ji

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      Shilpa Mishra
      April 1, 2020, 11:18 pm

      Sahi mayne me aap bharat ko behtar bhavishy de rahe hai.aapka koti koti aabhar

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      brajendra yadav
      March 2, 2020, 6:00 pm

      sir betba yamuna me hamirpur jila me milti hai

      Usernicename
      Masood
      February 27, 2020, 10:40 pm

      Good work sir ji