शीत ऋतु में मौसम की क्रिया विधि

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  • जब सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं, तब सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर तिरछी पड़ती हैं, जिससे उत्तरी भारत पर शीत ऋतु का मौसम होता है|
  • शीत ऋतु में हिमालय के उत्तर मे मध्य एशिया, तिब्बत और चीन में धरातल से 6 से 12 किमी.की ऊँचाई पर क्षोभ मण्डल की सीमा के पास पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली शक्तिशाली वायुधाराओं को जेट धारा या पछुआ जेट धारा कहते हैं|
  • ये वायुधाराएँ पश्चिम से पूर्व की दिशा में प्रवाहित होती हैं, इसलिए इसे पछुआ जेट धारा भी कहते हैं|
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शीत ऋतु में मौसम की क्रिया विधि
  • जब शीत ऋतु में सूर्य दक्षिणायन होता है तो जेट धाराएं भी दक्षिण की ओर खिसक आती हैं, इसके परिणाम स्वरूप हिमालय जेट धाराओं के मार्ग में आ जाता है|
  • हिमालय के जेट धाराओं के मार्ग में आने के कारण ये जेट धाराएँ दो शाखाओं में बंट जाती हैं –

          (a)    पछुआ जेट धाराओं की उत्तरी शाखा|

          (b)    पछुआ जेट धाराओं की दक्षिणी शाखा|

  • पछुआ जेट धारा की दक्षिणी शाखा हिमालय के दक्षिण में उत्तर भारत के मैदान के ऊपर पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होने लगती है|
  • वास्तव में पछुआ जेट धारा की यही दक्षिणी शाखा शीत ऋतु में उत्तर भारत के मौसम पर या उत्तर भारत के मैदान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है|
  • पछुआ जेट धारा की दक्षिणी शाखा अपने साथ पश्चिमी विक्षोभ को बहाकर उत्तर भारत में लाती है|
  • पश्चिमी विक्षोभ के कारण ही उत्तर भारत में शीत ऋतु में वर्षा होती है|
  • पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में हिमपात होता है, जबकि उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र में वर्षा जल बूंदों के रूप में होती है|

पश्चिमी विक्षोभ

  • पश्चिमी विक्षोभ एक शीतोष्ण चक्रवात है|
  • शीत ऋतु में यूरोप में भूमध्य सागर पर एक शीतोष्ण चक्रवात का जन्म होता है| यह शीतोष्ण चक्रवात जेट वायु द्वारा पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होने लगता है| भूमध्य सागर, काला सागर और कैस्पियन सागर के ऊपर से प्रवाहित होने के कारण इस शीतोष्ण चक्रवात द्वारा नमी की एक अच्छी मात्रा ग्रहण कर ली जाती है| जब ये शीतोष्ण चक्रवात पछुआ जेट पवनों के माध्यम से भारत में प्रवेश करता है, तो इसे हम पश्चिमी विक्षोभ नाम देते हैं|
  • पश्चिमी विक्षोभ, पछुआ जेट धारा द्वारा बहाकर भारत में लायी जाने वाली अत्यधिक आर्द्र हवाएँ होती हैं| वास्तव में, शीत ऋतु में उत्तर भारत में जो भी वर्षा प्राप्त होती है, वह पश्चिमी विक्षोभ के आर्द्र हवाओं से ही प्राप्त होती है|
  • पश्चिमी विक्षोभ द्वारा होने वाली वर्षा उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में अर्थात्जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में हिमपात के रूप में होती है, जबकि पश्चिमोत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में अर्थात् पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में वर्षा जल बूँदों के रूप में होती है|
  • पश्चिमी विक्षोभ के नाम से जानी जाने वाली शीतोष्ण चक्रवात में नमी की अच्छी खासी मात्रा होती है, इससे उत्तर भारत में पंजाब से लेकर पश्चिमी बिहार तक अच्छी वर्षा होती है|
  • भारत में रबी की फसल के समय में पश्चिमी विक्षोभ से वर्षा होती है|
  • पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली वर्षा हिमालय के पहाड़ी राज्यों में सेब की फसल के लिए लाभदायक होती है, जबकि उत्तर भारत के मैदानी भागों में ये वर्षा रबी की फसल अर्थात् गेहूँ और जौ आदि के लिए लाभदायक होती है|
  • शीत ऋतु में पश्चिमी विक्षोभ के कारण ही हिमालय की चोटियों पर हिमपात होता है| यही कारण है कि हिमालय की नदियों में जल की मात्रा में ग्रीष्म ऋतु में भी कमी नहीं आती है, क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में हिमालय पर जमी बर्फ पिघलने लगती है, बर्फ के पिघलने के कारण हिमालयी नदियों में जल की पर्याप्त मात्रा बनी रहती है|

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SITESH KUMAR
May 6, 2020, 1:52 pm

Thanks sir

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Shalu singh
March 6, 2020, 10:06 am

Pdf link dijiye sir please

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Sanjay
March 4, 2020, 11:58 am

Good notes sir