उपनिवेशवाद

उपनिवेशवाद Download

  • औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात उत्तरवर्ती मुग़ल शासकों के द्वारा तत्कालीन ब्रिटिश कंपनीको व्यापार में दी गई रियायतों के कारण भारतीय व्यापारियों के हितों को चोट पहुँचा|प्लासी के युद्ध तथा इसके कुछ ही वर्षों के पश्चात बक्सर के युद्ध ने भारत में अंग्रेजों को एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया|भारत में कंपनी की सत्ता स्थापित होने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो गया|
  • भारत में ब्रिटिश राज्य की स्थापना का मूल उद्देश्य भारत में कंपनी के शासन को ब्रिटेन के लिए फायदेमन्द बनाना था|
  • उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद के पूर्व की अवस्था है|इसका अर्थ, किसी देश द्वारा, किसी विदेश पर सत्ता स्थापित करके अधिकाधिक लाभ कमाना है|इसका तात्पर्य है कि जिस देश को उपनिवेश बनाया जाता है, उसका अधिक से अधिक शोषण किया जाता है| ऐसे में शासित देश उपनिवेश कहलाता है|शासक देश जो भी नीतियां या कार्यक्रम बनाता है, वह उपनिवेश के शोषण के लिए बनाया जाता है|
  • भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद अलग-अलग चरणों में विभक्त था, अर्थात इसका स्वरुप अलग-अलग काल में अलग-अलग था| इसे ही हम उपनिवेशवाद के चरण कहते हैं|
  • रजनीपाम दत्त ने अपनी पुस्तक “IndiaToday” में भारत के उपनिवेशवाद को तीन चरणों में विभाजित किया है|ये चरण निम्नलिखित हैं-
  • वाणिज्यिक पूंजीवाद का चरण (1757 से 1813 तक का चरण)
  • औद्योगिक पूंजीवाद का चरण (1813 से 1858 तक का चरण)
  • वित्तीय पूंजीवाद का चरण (1858 से 1947 तक का चरण)

 

वाणिज्यिक पूंजीवाद का चरण

(1757 ई० से 1813 ई० तक)

 

  • भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की शुरुआत 1757 ई० में हुई|भारत में प्लासी के यद्ध में विजय के बाद जैसे ही बंगाल पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हुआ,उसी समय से भारत में उपनिवेशवाद का प्रारम्भ हो गया था|भारत में उपनिवेशवाद के साथ ही वाणिज्यिक पूंजीवाद का पहला चरण प्रारम्भ हुआ|
  • इस काल में कंपनी के दो उद्देश्य थे –
  • भारत के साथ व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना, जिससे अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके|
  • भारत की सत्ता पर नियंत्रण स्थापित करके, भारत के राजस्व पर एकाधिकार स्थापित करना|
  • कंपनी का यह उद्देश्य प्लासी और बक्सर के युद्ध के बाद प्राप्त हुआ|प्लासी के युद्ध के बाद कंपनी को बंगाल में राजनीतिक सत्ता हासिल हुई और साथ ही बंगाल के राजस्व पर भी एकाधिकार स्थापित हुआ|
  • बक्सर केयुद्ध के बाद हुए 1765 ई० के इलाहबाद की संधि के बाद मुग़ल बादशाह को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी कंपनी को देनी पड़ी थी|इसी के साथभारत का शोषण और भारतीय धन का बर्हिगमन प्रारम्भ हुआ|
  • बक्सर के युद्ध के पूर्व कंपनी को इंग्लैंड से मुद्रा लाना पड़ता था किन्तु बक्सर के युद्ध के पश्चात सत्ता पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद कंपनीका राजस्व पर भी एकाधिकार स्थापित हो गया था, इसलिए अब भारतीय माल खरीदने के लिए कंपनी ने इंग्लैंड से मुद्रा मंगाना बंद कर दिया|
  • अब कंपनी भारतीय मुद्रा से भारतीय वस्तुओं को सस्ते दामों पर खरीदकर उसे भारतीयों को ही महंगे दामों पर बेचा करती थी|इस प्रकार व्यापार से प्राप्त होने वाला अतिरिक्त लाभ कंपनी को प्राप्त हो रहा था|वास्तव में यहीं से भारत का शोषण होना प्रारम्भ होता है|
  • ब्रिटिश कंपनीके शोषण का पहला निशाना भारतीय हस्त-शिल्प उद्योगबना|यहाँ देशी बुनकरों को सस्ते से सस्ते दामों पर कपड़ा और धागे बुनने पर मजबूर किया गयाऔर उस कपड़ेअथवा धागे को इंग्लैंड भेजा गया या फिर भारतीयों को ही उसे महंगे दामों पर बेचा गया|अंग्रेजों के इस क्रियाकलापों से भारतीय बुनकरों का अत्यधिक शोषण हुआ|इस घटना के सम्बन्ध में प्रसिद्ध ब्रिटिश इतिहासकारपार्शिवल स्पीयर ने इस काल को “बेशर्मी और लूट का काल”कहा है|
उपनिवेशवाद
उपनिवेशवाद
  • प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकारके०एम० पणिक्कर ने विशेष रूप से 1765 ई०से 1772 ई० तक के काल को भारत में“डाकू राज्य” की संज्ञादी है|इस काल में द्वैध शासन लागू था और द्वैध शासन में भारतीयों का अधिक शोषण किया गया था|

Leave a Message

Registration isn't required.


By commenting you accept the Privacy Policy

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.