जल विद्युत
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- टर्बाइन एक प्रकार की युक्ति होती है|टर्बाइन के अन्दर इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एरिया/पावर होता है | इसके कारण जब टर्बाइन घूमता है तो उससे बिजली उत्पन्न होती है |
- विशेष जानकारी की बात यह है कि टर्बाइन स्वयं नहीं घूमता है बल्कि इसमें गति लाने के लिए भिन्न-भिन्न माध्यमों जैसे-जल शक्ति, वायु शक्ति तथा ज्वलनशील खनिज पदार्थों (कोयला,गैस इत्यादि) का प्रयोग किया जाता है|विद्युत संयंत्रों में कोयला जलाकर प्राप्त होने वाली विद्युत को ताप विद्युत कहते हैं |
- नदियां पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवाहित होते हुए जब अत्यधिक ऊँचाई से अचानक नीचे की ओर गिरती हैं तो हम इसे जल प्रपात (Water fall) कहते हैं | जलविद्युत उत्पन्न करने के लिए इन्हीं जल प्रपातों के नीचे टर्बाइन लगा दिया जाता है| ऊँचाई से गिरती हुई नदियों के जल के वेग से टर्बाइन तेजी से घूमने लगता है| इस क्रिया द्वारा जो विद्युत उत्पन्न होती है, उसे हम जलविद्युत कहते हैं |
- जब टर्बाइन को गति देने के लिए यूरेनियम का प्रयोग किया जाता है तो इस प्रकार से उत्पन्न विद्युत को परमाणु विद्युतकहते हैं |
- भारत के तटीय क्षेत्रों में अत्यधिक तीव्र गति से वायु प्रवाहित होती है|तटवर्ती क्षेत्रों में निरंतर वायु के प्रवाहित होने के कारण यहाँ पवन चक्कियों का निर्माणकिया गया है| इन पवन चक्कियों से भी बिजली उत्पन्न होती है, इसे पवन ऊर्जा (Wind Energy) कहते हैं |
- पर्वतीय क्षेत्रों में नदियों के जल को रोकने के लिए बड़े-बड़े बांधों का निर्माण किया जाता है | इन बांधों से पानी को रोककर नदी के जलस्तर को ऊँचा उठा दिया जाता है | इसके कारण बांध के पीछेकृत्रिम रूप से बड़े जलाशय कानिर्माण हो जाता है |
- बांधों में छोटी-छोटी खिड़कियाँ लगाई जाती हैं| जब नदी का पानी इकठ्ठा हो जाता है तो इनखिडकियों के माध्यम से बांध के पानी को छोड़ दिया जाता है | जिन स्थानों से पानी को छोड़ा जाता है उसके ठीक नीचे टर्बाइन लगा दिया जाता है|जब बांधों से पानी छोड़ा जाता है तो इसमें अत्यधिक वेग होने के कारण टर्बाइन में लगे पंखे अधिक तेजी से घूमने लगते हैं जिससे अधिक मात्रा में बिजली उत्पन्न होती है |
- नदियां वैसे तो प्राकृतिक रूप से जल प्रपातों का निर्माण करती हैं किन्तुजल प्रपातों में अपेक्षाकृत वेग कम होता है|जल प्रपातों में कम वेग होने के कारणटर्बाइन में लगे पंखे धीरे-धीरे घूमते हैं जिससे कम बिजली उत्पन्न होती है |
- आप नदियों के अध्याय में पढ़ चुके हैं कि हिमालय से निकलने वाली नदियां वर्षवाहिनी होती हैं क्योंकि इन नदियों को वर्षा का जल तो प्राप्त होता ही है साथ ही साथ इन नदियों में हिमानियों के पिघलने से भी जल की मात्रा बनी रहती है| इसलिए हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बहुत चौड़ीहोती हैंऔर इन नदियों में जल की अथाह मात्रा होती है|इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भारत की नदियों में जल अपेक्षाकृत कम होता है और कुछ नदियां वर्षवाहिनी भी नहीं होती हैं |
- भारत की नदियों में अभिज्ञात जलविद्युत क्षमता 145000 मेगावाट है |जुलाई, 2019 तक जलविद्युत की कुलसंस्थापित क्षमता 45,399 मेगावाट हो गयी है, जो देश में विद्युत की कुल संस्थापित क्षमता का लगभग 6% है |
- जलविद्युत ऊर्जा कानवीकरणीय स्रोत है | ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत होने के साथ-साथ जलविद्युत ऊर्जा का पर्यावरणमित्र स्रोत भी है |जलविद्युत को श्वेत कोयलाभी कहा जाता है |
- ऊर्जा को नवीकरणीय और अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में बांटा गया है | उदाहरण के लिए-कोयलाऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है जबकि जलविद्युत को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत के अंतर्गत रखा गया है |
- इसके साथ ही ऊर्जा को गैर-परम्परागत और परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में भी बांटा गया है |
- ऐसे ऊर्जा स्रोत जो प्रदूषण उत्पन्न करते हो, जो समाप्त होने वाले हों अथवा जो पर्यावरण को खतरा उत्पन्न करते हों उन ऊर्जा स्रोतों को परम्परागत ऊर्जा स्रोत कहते हैं जैसे- कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ, गैस आदि से उत्पादित ऊर्जा|
- सूर्य की किरणों, वायु, जल आदि के माध्यम से जिस प्रकार विद्युत उत्पन्न किया जाता है, उसे गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत के अन्तर्गत शामिल किया जाता है |
Note – जलविद्युत को परम्परागत और गैर-परम्परागत दोनों प्रकार की ऊर्जा स्रोतों के अन्तर्गत रखा जाता है |
- भारत में बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को परम्परागत ऊर्जा स्रोत के अन्तर्गत रखा जाता है| चूँकि बड़े बांधों के निर्माण से बाँध के पीछे एक विशाल जलराशि एकत्रित हो जाती है जिससे यह वनों एवं अनेक वन्य जीव-जंतुओं को प्रभावित करती है| दूसरे शब्दों में यदि कहा जाये तो बड़े बांधों के निर्माण से पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है |
- नदियों का अपना एक जीवन होता है और यह जीवन नदियों के एक निश्चित रफ्तार में ही कायम रह सकता है| जब नदियों के जल को रोक दिया जाता है तो नदियों का जीवन भी प्रभावित होता है क्योंकि नदियों का भी अपना पारिस्थितिकी तंत्र होता है |इस तरह वनों के डूबने से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हुआ बल्कि नदियों का पारिस्थितिकी तन्त्र भी प्रभावित होता है |
- 25 मेगावाट या इससे कम क्षमता वालेजलविद्युत परियोजनाओं को ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत के अन्तर्गत रखा जाता है | क्योंकि छोटी जलविद्युत परियोजनाओं से पर्यावरणीय क्षति नहीं होती है|
- देश में सर्वाधिक जलशक्ति विभव (Potential) ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में है |ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन के बाद दूसरे स्थान पर प्रायद्वीपीय भारत के पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों में सर्वाधिक जलशक्ति विभव (Potential) मौजूद है |
- देश में सर्वाधिक जलशक्ति विभव (Potential) हिमालय की नदियों में मौजूद है किन्तु देश में सर्वाधिक जल शक्ति का विकास प्रायद्वीपीय भारत में हुआ है |
- हिमालय की नदियों में जलशक्ति विभव(Potential) अधिक होने के बावजूद सर्वाधिक जलशक्ति का विकास प्रायद्वीपीय भारत में हुआ है | इसके निम्नलिखित कारण हैं –
(i) हिमालय का क्षेत्र अत्यन्त दुर्गम है| यहां पर कहीं अत्यधिक ऊँचे पर्वत हैं तो कहीं नीचा ढाल है |इन अत्यन्त विषम परिस्थितियों के कारण यहाँ जलविद्युत संयंत्र (Hydro Power Plant)का विकास कम हुआ है |
(ii) उत्तर भारत के नगर हिमालय से अत्यन्त दूर स्थित हैं, ऐसी स्थिति में उत्पादन के स्थान से शहर तक बिजली पहुँचाने में अधिकाँश बिजली रास्ते में ही नष्ट हो जाती है |

- जलविद्युतके लिए आवश्यक है कि उत्पादन केन्द्र और उपभोग केन्द्र में समीपता होना चाहिए जिससे उत्पादन केन्द्र से उपभोग केन्द्र तक बिजली भेजने में बिजली का विनाश या ह्रास न हो सके |उदाहरण के लिए भांखडा नांगल से दिल्ली तक बिजली पहुँचाने में लगभग 15% बिजली नष्ट हो जाती है | यही कारण है कि हिमालय क्षेत्र में जलविद्युतसंयंत्रों का सीमित विकास हुआ है |
- इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भारत के सभी प्रमुख शहर प्रायद्वीपीय पठार पर ही स्थित हैं |अत: प्रायद्वीपीय पठार के नदियों पर जलविद्युतसंयंत्र स्थापित करके इन शहरों में बिजली की आपूर्ति कर दी जाती है जिससे बिजली का ह्रास अथवा विनाश कम होता है |
- देश में पहला जलविद्युत संयंत्र (Hydro Power Plant)दार्जिलिंग के सिद्रापोंग में 1897 ई० में स्थापित किया गया था |
- देश में सबसे पहले बिजली की आपूर्ति भी दार्जिलिंग के सिद्रापोंग में ही हुई थी | इसके बाद 1902 में कर्नाटक के शिवसमुद्रम् में दूसरेजलविद्युतसंयंत्र (Hydro Power Plant) की स्थापना की गयी |
Note – अधिकांश लोग मानते हैं कि देश में पहला जलविद्युत संयंत्र (Hydro Power Plant) शिवसमुद्रम् में स्थापित किया गया था | यह कथन गलत है |
- देश में सर्वाधिक जलविद्युतकी संस्थापित क्षमता वाला राज्य आंध्र प्रदेश है लेकिन देश में सर्वाधिक जलविद्युतउत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है |
- देश की सबसे बड़ी जलविद्युतपरियोजना कोयना जलविद्युत परियोजना (महाराष्ट्र )है |
- देश की प्रमुख जलविद्युतपरियोजनाएं निम्नलिखित हैं-
जलविद्युत परियोजना | राज्य |
रानगिट | सिक्किम |
तिस्ता | सिक्किम |
सुबानसिरी | अरूणाचल प्रदेश |
ऊपरी सियांग | अरूणाचल प्रदेश |
पार्वती | हिमाचल प्रदेश |
चमेरा | हिमाचल प्रदेश |
नाथपाझाकरी | हिमाचल प्रदेश |
उड़ी | जम्मू-कश्मीर |
सलाल | जम्मू-कश्मीर |
बगलीहार | जम्मू-कश्मीर |
दुलहस्ती | जम्मू-कश्मीर |
निम्बोबाजगो | जम्मू-कश्मीर |
ओंकारेश्वर | मध्य प्रदेश |
तवा | मध्य प्रदेश |
गांधीसागर | मध्य प्रदेश |
इंदिरासागर | मध्य प्रदेश |
उकाई | गुजरात |
सरदार सरोवर | गुजरात |
Note- उपरोक्त विषय में प्रस्तुत आंकड़े वर्ष 2020 में वास्तविक आंकड़ो पर आधारित हैं इसलिए विश्वसनीय हैं |