परमाणु ऊर्जा

परमाणु ऊर्जा

अणुशक्ति सम्पन्न खनिज Download

  • प्रकृति में कुछ ऐसे पदार्थ होते है जिनके अणुओं में ऊर्जा होती है | इन पदार्थों में कुछ ऐसे भी पदार्थ होते हैं जिनमें अधिक ऊर्जा होने के कारण उनसे स्वत: ऊर्जा निकलती रहती है | जैसे – यूरेनियम|
  • इस प्रकार प्रकृति में विद्यमान उन तत्वों में जिनके परमाणुओं में ऊर्जा होती है, उन्हें हम अणुशक्ति सम्पन्न खनिज या रेडियो सक्रिय(Radio Active) खनिज कहते हैं |
  • प्रकृति में विद्यमान यूरेनियम, थोरियम, बेरीलियम, ग्रेफाइट, इल्मेनाइट, जिरकान एंटीमनी ये सभी रेडियो सक्रिय तत्व हैं |
  • यूरेनियम और थोरियमजैसे रेडियोएक्टिव तत्वों के विखण्डन से परमाणु ऊर्जा प्राप्त होती है |1 किलो यूरेनियमके विखंडन से जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है उतनी ऊर्जा कोयला से प्राप्त करने के लिए लगभग 250 टन कोयलाको जलाना पड़ेगा |अतः यूरेनियम किसी दूसरे खनिजों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है |
  • प्रकृति में विद्यमान यूरेनियमस्वतन्त्ररूप में पाया जाता है जबकि थोरियम प्रकृति में स्वतंत्र रूप मेंनहीं पाया जाता है | थोरियमकिसी दूसरी अन्य खनिज संरचना में मिला हुआ रहता है|थोरियम जिस खनिज संरचना में मिश्रित रूप में पाया जाता है, उसे मानोजाइट बालू कहते हैं |
  • यूरेनियम में स्वत: विखण्डनकी क्षमता होती है अर्थात् यूरेनियम से स्वत: ऊर्जा मुक्त होती रहती है |यदि मनुष्य यूरेनियम का विखण्डन न करे तो भी इससे स्वत: ऊर्जा निकलती रहती है |
  • स्वत: विखण्डित होने के गुण के कारण यूरेनियम का उपयोग विद्युत निर्माण के लिए किया जाता है | यद्यपि की थोरियम भी रेडियो सक्रिय खनिज है किन्तु स्वत: विखण्डित न होने केगुण के कारण इसका उपयोग विद्युत निर्माण में नहीं किया जाता है |
  • यूरेनियम में स्वत: विखण्डन की क्षमता होने के कारण यूरेनियम परमाणु विद्युत उत्पादन के लिए अधिक महत्वपूर्ण है |पिचब्लेंड औरकॉर्नोकाइट यूरेनियम के प्रमुख अयस्क हैं |
  • भारत में लगभग 70 प्रतिशत यूरेनियम उत्पादन झारखण्ड राज्य के सिंहभूमि जिला में जादूगोड़ा की खान में होता है |
  • भारत में यूरेनियम उत्पादन के चार क्षेत्र हैं –

(i)     जादूगोड़ा- झारखण्ड

(ii)    बगजाता – झारखण्ड

(iii)   खासी पहाड़ी पर महाडस्क नामक स्थान पर

(iv)   आंध्र प्रदेश में तुम्मलापल्ली

यूरेनियम उत्पादन
यूरेनियम उत्पादन
  • आंध्र प्रदेश के तुम्मलापल्ली यूरेनियम भण्डार की खोज वर्ष 2011 में की गयी थी |
  • थोरियम केरल तट पर मोनोजाइट बालू में पाया जाता है | भारत विश्व में सबसे बड़ा थोरियम उत्पादक देश है |भारत में थोरियम के भण्डार झारखण्ड एवंकेरल राज्यों में स्थित है |

ग्रेफाइट

  • ग्रेफाइट हीरे के समान कार्बन का ही अपरूप है| ग्रेफाइट के परमाणुबन्ध कमजोर होने के कारण इसके परमाणु एक दूसरे का साथ छोड़ देतें हैं|यही कारण है कि पेन्सिल के लेड में उपयोग होने वाला ग्रेफाइट लिखने योग्य बन जाता है |
  • हीरा कार्बन परमाणुओं की मजबूतबन्ध होने के कारण यह प्रकृति का अत्यधिक कठोर तत्व होता है |
  • ग्रेफाइट का उपयोग दो क्षेत्रों में किया जाता है –

(i)     पेंसिल की लीड में

(ii)    परमाणु रिएक्टर्स में मंदक के रूप में 

  • पेन्सिल के लेड के रूप में उपयोग किया जाने वाला ग्रेफाइट अत्यन्त ही निम्न कोटि का होता है जबकि अच्छे किस्म केग्रेफाइट का उपयोग परमाणु रिएक्टर्स में मंदकके रूप में इस्तेमाल किया जाता है |
  • रेडियो सक्रिय तत्वों के परमाणुओं से निकलने वाली ऊर्जा को एक साथ प्राप्त करने के लिए परमाणुओं का विखण्डन कराया जाता है | अनियंत्रित परमाणुओं का विखण्डन अत्यधिक विध्वंसक हो जाता है इसलिए परमाणु विखण्डन का नियंत्रण परमाणु रिएक्टर्स में किया जाता है | परमाणु रिएक्टर्स में विखण्डन की क्रिया को मन्द कर दिया जाता है | इस प्रक्रिया में ही ग्रेफाइट की छड़ों का उपयोग किया जाता है |
  • एक परमाणु के विखंडन से तीन न्यूट्रॉन निकलते हैं |अतः परमाणु रिएक्टर्स में ग्रेफाइट के छड़ों के द्वारा दो न्यूट्रॉनों को सोख लिया जाता है |अब एक परमाणु से निकला हुआ न्यूट्रॉन एक परमाणु का विखंडन करता है| ऐसी स्थिति में श्रृंखला अभिक्रिया नहीं चल पाती है और धीरे-धीरे ऊष्मा प्रवाहित होती है | इस ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक कार्यों जैसे- विद्युतनिर्माण आदि में किया जाता है |
  • भारत में ग्रेफाइट का सर्वाधिक भण्डार अरुणाचल प्रदेश में पाया जाता है |यहाँ कुल ग्रेफाइट के भण्डार का लगभग 35 प्रतिशत पाया जाता है | भारत में ग्रेफाइट के भण्डार वाले शीर्ष राज्य अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और ओडिशा हैं |
  • भारत में ग्रेफाइट का उत्पादन करने वाले शीर्ष राज्य तमिलनाडु, ओडिशा तथा झारखण्ड राज्य हैं|भारत अपने उपयोग में लाये जाने वाले ग्रेफाइट काअधिकांश भागविदेशों से आयात करता है |
क्रोमाइट
क्रोमाइट

जिरकॉन

  • जिरकॉन भी थोरियम के समान ही केरल तट पर मोनोजाइट बालू से निकाला जाता है |
  • बेरीलियम, इल्मेनाइट और एंटीमनी पदार्थों का उपयोग भी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है |

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