प्लासी की पृष्ठभूमि

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  • भारत में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय तक बंगाल अत्यधिक समृद्ध प्रान्त हुआ करता था| अपनी समृद्धि के कारण ही बंगाल विदेशी कंपनियों के आकर्षण का केंद्र था| विदेशी कंपनी भारत से अपने व्यापार में वृद्धि करने के लिए बंगाल में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती थी| बंगाल में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करने की प्रतिस्पर्धा में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी को सफलता प्राप्त हुई|
  • भारत में अंग्रेजों ने सबसे पहले राजनीतिक सत्ता बंगाल में प्राप्त किया| यह सत्ता अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब से 1757 ई० के प्लासी के युद्ध तथा 1764 ई० में बक्सर के युद्ध को जीतने के उपरान्त प्राप्त किया था|

 

बंगाल के नवाब के साथ अंग्रेजों की पृष्ठभूमि

 

  • मुगल काल में बंगाल एक विशाल प्रान्त था|यह मुगलकालीन सर्वाधिक संपन्न राज्य था|इसके अंतर्गत बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, बिहारऔर उड़ीसा का क्षेत्र शामिल था|
  • औरंगजेब ने सन् 1700 ई० में मुर्शिद कुली खां को राजस्व प्रशासन में सुधार लाने के लिए बंगाल का दीवान (राजस्व का संग्राहक) नियुक्त किया था|1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुर्शिद कुली खां ने स्वयं कोबंगाल का स्वतंत्र शासक घोषित कर लिया|
  • मुर्शिद कुली खां पहला ऐसा शासक था जिसके नेतृत्व में बंगाल 1717 ई०तकधीरे-धीरे मुगलों के नियंत्रण से स्वतंत्र हो गया था|
  • मुर्शिद कुली खां ने बंगाल कीराजधानी को ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित कर दिया| मुर्शिद कुली खां ने बंगाल में नए भू-राजस्व सुधार किये|उसने भू-राजस्व की वसूली के लिए नए कुलीन वर्ग का गठन किया और इन्हीं कुलीन वर्गों के माध्यम से भू-राजस्वकी वसूली करवाई|
  • मुर्शिद कुली खां ने बंगाल में भू-राजस्वव्यवस्थाके अन्तर्गत “इजारा व्यवस्था”(ठेके पर भू-राजस्ववसूल करने की व्यवस्था) आरम्भ की|इजारा व्यवस्था के अंतर्गत किसानों से भू-राजस्ववसूलने का कार्य जमींदार वर्ग किया करता था|

Note-   कालांतर में 1793 ई० में लॉर्ड कार्नवालिस ने स्थाई बन्दोबस्त व्यवस्था का          गठन किया तो इस व्यवस्था में जिन जमीदारों को भूमि का स्वामी स्वीकार किया     गया था, वास्तव में ये वही बंगाल के जमींदार थे, जिन्हें मुर्शिद कुली खां ने इजारा   व्यवस्था के अंतर्गत नियुक्त किया था|

  • मुर्शिद कुली खां के समय से लेकर अलीवर्दी खां के नवाब बनने तक बंगाल पहले से भी ज्यादा सम्पन्न हो चुका था|इसका लाभ उठाकर यूरोपीय कंपनियों अर्थात्अंग्रेजों, फ्रांसीसियों और डचों ने बंगाल में जगह-जगह अपनी व्यापारिक बस्तियां स्थापित कर लीं| इन बस्तियों में हुगली सबसे महत्वपूर्ण बस्ती थी|
  • 1727 ई० में मुर्शिद कुली खां की मृत्यु के पश्चात् उसका दामाद शुजाउद्दीन बंगाल के शासन की बागडोर संभाली और उसने 1739 ई०तक बंगाल पर शासन किया|
  • शुजाउद्दीन के पश्चात् उसका बेटा सरफराज खां गद्दी पर बैठा किन्तु सरफराज खांको 1739-40 ई० में गद्दी से हटाकर अलीवर्दी खांस्वयं को बंगाल का नवाब घोषित कर दिया|
  • अलीवर्दी खां बंगाल का एक शक्तिशाली शासक था|यह बंगाल का अंतिम शासक था जिसने यूरोपीय कंपनियों पर नियंत्रण बनाये रखा| अलीवर्दी खां ने अंग्रेजों की कलकत्ता बस्ती और फ्रांसीसियों के चन्द्रनगर बस्तियों के किलेबंदी का सफलतापूर्वक विरोध किया था|
  • अलीवर्दी खां ने यूरोपीय कंपनियों के बारे में कहा था कि,“यदि उन्हें न छेड़ा जाये तो वे शहद देंगी,किन्तु इन्हें छेड़ा जाये तो ये काट-काट कर मार देंगी|”

 

सिराजुद्दौला

 

  • सिराजुद्दौला,बंगाल के नवाब अलीवर्दी खां का उत्तराधिकारी था|1756 ई० में अलीवर्दी खां की मृत्यु के पश्चात् उसका दौहित्र (पुत्री का पुत्र) सिराजुद्दौला अप्रैल, 1756 ई० में बंगाल का नवाब बना| इसी के समय में 23जून1757 ई० में प्लासी का युद्ध हुआ था|

प्लासी के युद्ध की पृष्ठभूमि

 

  • बंगाल का नवाब बनने के बाद सिराजुद्दौला के तीन प्रतिद्वंदी थे जो सिराजुद्दौला को गद्दी से हटाना चाहते थे| सिराजुद्दौला के ये तीन प्रमुख प्रतिद्वंदी थे –
  • शौकत जंग (चचेरा भाई)
  • घसीटी बेगम (मौसी)
  • मीर जाफर (सेनापति)

 

  • नवाब सिराजुद्दौलाके ये तीनों प्रतिद्वंदियों नेअंग्रेजों के साथ मिलकर सिराजुद्दौला के खिलाफ षड़यंत्र करना शुरू कर दिया था| इस षड्यंत्र से बचने के लिए नवाब सिराजुद्दौला ने अपने चचेरे भाई शौकत जंग को मरवा दिया तथा इस षड्यंत्र में शामिल अपनी मौसी घसीटी बेगम को जेल में बंद करवा दिया और सेनापति मीर जाफर को हटाकर मीर मदान को सेनापति नियुक्त किया|
  • सिराजुद्दौला का अंग्रेजों से तीन प्रमुख मुद्दों पर मतभेद था जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था| ये तीनों प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं-
  • अंग्रेजों के द्वारा नवाब के खिलाफ षडयंत्रकारियों को बढ़ावा देना|
  • नवाब के अनुमति के बिना फोर्ट विलियम के किलेबंदी को और सशक्त करना|
  • अंग्रेजों को मुगल शासक द्वारा सीमा शुल्क मुक्त व्यापार का अधिकार प्राप्त होना|

 

  • 1690 ई० में औरंगजेब के एक फरमान ने 3000 रुपये की वार्षिक अदायगी के बदले कंपनी को बंगाल में शुल्क-मुक्त व्यापार करने का अधिकार दे दिया था| 1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बहादुर शाह उत्तराधिकारी बना|किन्तु औरंगजेब के बाद कोई भी मुगल उत्तराधिकारी योग्य सिद्ध नहीं हुआ|अयोग्य उत्तराधिकारियों के कारण अंग्रेजों का मुगल शासन पर प्रभाव बढ़ता गया|
  • सन1717 ई० में मुगल बादशाह फर्रुखशियर ने अंग्रेंजों को बंगाल में कर-मुक्त व्यापार करने का अधिकार प्रदान किया, इसे “दस्तक” कहा जाता था|दस्तक के माध्यम से मुगल बादशाह नेकंपनी को शुल्क-मुक्त व्यापारकरने,कलकत्ता के आस-पास के गांवों को लगान पर लेने और शाही टकसाल का उपयोग करने का अधिकार दे दिया|यह फरमान भी कंपनी तथा बंगाल के नए स्वतंत्र शासक मुर्शिद कुली खान के बीच टकराव का एक नया कारण बन गया|
  • कंपनी के अधिकारियों ने दस्तक का जमकर दुरुपयोग करना आरम्भ कर दिया| दस्तक के इस दुरूपयोग से मुर्शिद कुली खान को राजस्व की हानि होने लगी अतः मुर्शिद कुली खान राजस्व की हानि होने के कारण शुल्क-मुक्त व्यापार पर विरोध करना शुरू कर दिया| मुर्शिद कुली खान ने शुल्क-मुक्त व्यापार के इस प्रावधान को कंपनी के अधिकारियों के निजी व्यापार पर लागू करने से मना कर दिया|
  • मुर्शिद कुली खान ने कंपनी को अड़तीस गाँव खरीदने और टकसाल सम्बन्धी विशेषाधिकार देना भी अस्वीकार कर दिया| इस तरह कंपनी और बंगाल के नवाब के बीच 1717 ई० से ही टकराव बढ़ता जा रहा था|
  • ईस्ट इण्डिया कंपनी के अधिकारी दस्तक को अपने से निम्न अधिकारियों को बेंच दिया करते थे, जिसके कारण भी बंगाल के नवाब को राजस्व का घाटा होता था|इस कारण भी अंग्रेजों और नवाब के बीच टकराव का एक बड़ा मुद्दा बन गया और भारत में साम्राज्यिक शक्ति के रूप में कंपनी के उदय का आधार तैयार हुआ|
  • 1755 ई० में नवाब की अनुमति लिए बिना अंग्रेजों ने कलकत्ता के किले बंदी की मरम्मत करवाने लगे थे और नवाब की सत्ता की खुली अवज्ञा करते हुए उसके दरबार से भागने वालों को संरक्षण प्रदान करने लगे थे|
प्लासी की पृष्ठभूमि
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  • 1756ई० में अलीवर्दी खान के उत्तराधिकारी के तौर पर जब सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना तो उसने कंपनी के द्वारा होने वाले दस्तक के दुरूपयोग को रोककर अंग्रेजों के निजी व्यापार को पूरी तरह से रोक देने की धमकी दी,नवाब द्वारा दिया गया यह आदेश अंग्रेजों को नागवार गुजरने लगी|नवाब के द्वारा कंपनी को दिया गया यह आदेश नवाब और कंपनी केबीच टकराव का प्रबल कारण बना|
  • युवा नवाब सिराजुद्दौला के आक्रामक व्यवहार को देखते हुए अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला के साथ युद्ध करने का निश्चय किया|नवाब के खिलाफ अंग्रेजों का मुख्य मोहरा नवाब का पूर्व सेनापति मीर जाफर बना|अंग्रेजों ने मीर जाफर को अपने साथ कर लिया| यही मीर जाफर नवाब के पतन और अंग्रेजी हुकूमत को भारत में स्थापित करने का कारण सिद्ध हुआ|

 

 

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