जनजातीय विद्रोह

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  • समाज की मुख्यधारा से अलग जंगली क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को आदिवासी कहा जाता है|आदिवासियों के लिए जनजाति शब्द का प्रयोग सबसे पहले ठक्कर बापा ने किया था इसलिए इन्हें जनजातियों का मसीहा कहा जाता है|
  • जनजाति अथवा आदिवासी लोगो की निर्भरता जंगलों पर ही होती है|अंग्रेजों का भारत में सत्ता प्राप्त होने के बाद अंग्रेज आदिवासियों पर अपने नियम कानून थोपना शुरू कर दिया, अंग्रेजों ने भूराजस्व पद्धतियाँ लागू किया|अंग्रेजों ने नियम बनाकर झूम कृषि पर प्रतिबंध लगा दिया|
  • जमींदारों को यह आदेश दिया गया गया कि झूम कृषि करने के स्थान पर जनजातियों से स्थाई कृषि कराया जाये|इस तरह से जहाँ एक तरफ आदिवासी अपने इच्छा से जीवनयापन करते थे, अब उन्हें जमींदारों के अधीन मजदूर बना दिया गया|
  • अब अगर कोई आदिवासी लगान नहीं दे पाता था, तब इन आदिवासियों को जमींदारों के द्वारा महाजनों से सूद पर पैसा लेने के लिए विवश किया जाता था|इन महाजनों और जमींदारों के चंगुल में फँसकर आदिवासी लोग आजीवन ब्याज ही भरते थे और जमींदार उनसे लगान के लिए अगल से भी दबाव बनाते रहते थे|
  • इस प्रकार बाहरी लोगों ने मिलकर आदिवासियों का शोषण करना प्रारम्भ करदिया|आदिवासी लोग इन बाहरी लोगों को दिकु कहा करते थे| आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को जिस तरह से बाहरी लोगों ने छिन्न-भिन्न किया, इससे आदिवासी हथियार उठाने के लिए विवश हो गये|एक के बाद एक श्रृंखलाबद्ध अनेक जनजातीय विद्रोह हुए|

संथाल विद्रोह

  • संथाल विद्रोह, 1857 ई० की क्रांति के ठीक एक साल पहले अर्थात 1856 ई० घटित हुआ था|छोटा नागपुर पठार पर इन संथालों का प्रमुख निवास स्थान था| इस विद्रोह के प्रमुख नेता सिद्धू और कानू नामकदो संथाल आदिवासी थे|

 

 

  • जमींदारी व्यवस्था लागू होने के बाद ऐसे आदिवासी जो स्थान बदल-बदल कर जंगलों में खेती किया करते थे,इन आदिवासियों से उनकी जमीनें छीन ली गई|जनजातियों द्वारा कहीं भी जंगल काटकरकृषि करने को अवैध घोषित कर दिया गया|अब जमींदार आदिवासियों से निश्चित क्षेत्रों में खेती करवाते थे जिससे इन आदिवासियों का शोषण बढ़ गया था|परिणामस्वरूप 1855 ई० में संथालों ने हथियार उठा लिया|
  • 1855-1856 ई० तक संथालों का विद्रोह चला|इतने बड़े शक्तिशाली और ब्रिटिश साम्राज्य के आगे आदिवासी लोग अपने परम्परागत हथियारों से बहुत दिनों तक अंग्रेजों के अत्याधुनिक हथियारों का सामना नहीं कर सकते थे|अतः इन्हें अंग्रेजों के सामने पराजित होना तय था| इस तरह से संथाल विद्रोह को भीसमाप्त कर दिया गया| संथाल विद्रोह के नेता सिद्धू, 1855ई० में और कानू, 1856 ई० में मारे गये|

मुंडा विद्रोह

 

 

  • मुंडा लोगों ने अंग्रेजों को बहुत जबरदस्त शिकस्त दी थी|यह विद्रोह 1895 ई० में प्रारम्भ हुआ था और 1901 ई० तक चलता रहा|मुंडाओं के विद्रोह का क्षेत्र भी छोटा नागपुर का पठार था|इनका प्रमुख नेता बिरसा मुंडा था|इसे उलगुलान विद्रोह भी कहा जाता है|मुंडाओं में सामूहिक खेती का प्रचलन था| इस तरह की खेती को खुंटकुटी कहा जाता है|
  • मुंडाओं की जमीनों पर जमींदारों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था जिससे मुंडाओं में आक्रोश था| मुंडाओं द्वारा छिट-पुट विद्रोह किये जाते रहे थे किन्तु मुंडाओं को संगठित करने का प्रयास बिरसा मुंडा ने किया|
  • बिरसामुंडा का उदय एक चमत्कारी नेताके रूप में हुआ|बिरसा मुंडा लोगों को विश्वास दिलाते थे किईश्वर ने मुझे अपना दूत बनाकर तुम्हारे पास भेजा है| मुझमे ईश्वर की दिव्य शक्तियाँ है, मैं तुम्हे इस शोषण और अन्याय से मुक्त कराऊंगा| धीरे-धीरे लोगों में यह विश्वास बढ़ता गया कि वास्तव में बिरसा मुंडा में कोई चमत्कारी शक्तिहैऔर ये इन दिकुओं को भगा सकता है| धीरे-धीरे लोग बिरसा मुंडा को देखने के लिए एकत्रित होने लगे|
  • 1899 ई० में क्रिसमस के दिन बिरसा मुंडा ने अचानक उग्र रूप धारण किया,अंग्रेजों को मार भगाने के लिए तथा जमींदारों और महाजनों के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए सभी मुंडाओं को एकत्रित करने लगा| इसने आवाहन किया कि अब पूरी धरती पर मुंडाओं का शासन होगा|बिरसा मुंडा ने कहा था कि इन दिकुओं से हमारी लड़ाई होगी और इनके रक्त से हमारी धरती लाल हो जाएगी|
  • बिरसा मुंडा ने 5 जनवरी, 1900 ई० को विद्रोह की शुरुआत कर दी|चारों तरफ भयंकर रक्तपात होने लगा|शुरू में तो अंग्रेज महाजन और जमींदार मारे गये किन्तु बाद में अंग्रेजी सेना ने इस विद्रोह का सामना किया|अंग्रेजों ने मुंडाओ के विद्रोह का दमन कर दिया, बिरसा मुंडा पकड़े गये और इन्हें रांची जेल में डाल दिया गया|कुछ समय बाद जेल में हीहैजा से इनकी मृत्यु हो गई|
  • भारत में होने वाले कुछ अन्य प्रमुख विद्रोहों का वर्णन नीचे सारणी के माध्यमसे दिया गया है-
विद्रोहस्थाननेता
कोल विद्रोहछोटा नागपुर पठारबुद्धो भगत
खासी विद्रोहमेघालयतीर्थ सिंह
रम्पा विद्रोहआंध्र प्रदेशराजू रम्पा
रामोसी विद्रोहपश्चिमीघाट (महाराष्ट्र)चित्तर सिंह
कुकी आन्दोलनमणिपुर 
चूआर आन्दोलनबंगालजगन्नाथ

 

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Esha
July 27, 2023, 5:58 am

Thank you